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कटिहार


कटिहार


कटिहार (Katihar) भारत के बिहार राज्य के कटिहार ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।

विवरण

पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित कटिहार एक ऐतिहासिक शहर है। त्रिमोहिनी संगम , बाल्दीबाड़ी, बेलवा, दुभी-सुभी, गोगाबिल झील, नवाबगंज, मनिहारी और कल्याणी झील आदि यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से है। पूर्व समय में यह जिला पूर्णिया जिले का एक हिस्सा था। इसका इतिहास बहुत ही समृद्ध रहा है। इस जिले का नाम इसके प्रमुख शहर दीघी-कटिहार के नाम पर रखा गया था। मुगल शासन के अधीन इस जिले की स्थापना सरकार तेजपुर ने की थी। 13वीं शताब्दी के आरम्भ में यहाँ पर मोहम्मद्दीन शासकों ने राज किया। 1770 ई॰ में जब मोहम्मद अली खान पूर्णिया के गर्वनर थे, उस समय यह जिला ब्रिटिशों के हाथ में चला गया। अत: काफी लम्बे समय तक इस जगह पर कई शासनों ने राज किया। अत: 2 अक्टूबर 1973 ई॰ को स्वतंत्र जिले के रूप में घोषित कर दिया गया। 12 फरवरी वर्ष 1948 में महात्मा गांधी के अस्थि कलश जिन 12 तटों पर विसर्जित किए गए थे, त्रिमोहिनी संगम भी उनमें से एक है |

प्रमुख आकर्षण

त्रिमोहिनी संगम

बिहार के कटिहार जिले के अंतर्गत कुर्सेला प्रखंड के कटरिया गांव के NH-31 से रास्ता त्रिमोहिनी संगम की ओर जाती है। प्रकृति की अनुपम दृश्य देखने को मिलता है। यहाँ तीन नदियों का संगम है जिसमे प्रमुख रूप से गंगा और कोशी का मिलन है। त्रिमोहिनी संगम भारत की सबसे बड़ी उत्तरायण गंगा का संगम है। गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है। सूर्योदय से ही उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है। सूर्योदय की किरणें सीधे गंगा के लहरों पर पड़ती है। जिससे प्रकृति का अनुपम दृश्य उपस्थित हो जाता है। नेपाल से निकलने वाली कोसी के सप्तधाराओं में एक सीमांचल क्षेत्र के कई जिलों से गुजरते हुए यहां आकर गंगा नदी से संगम कर अपना वजूद खो देती है। एक नदी की उत्पत्ति भारत कि सबसे बड़ी उत्तरवाहिनी गंगा तट से हुई है। जिसे कलबलिया के नाम से जाना जाता है। कलबलिया करीब 32 किलोमीटर का सफर तय करती है। 12 फरवरी वर्ष 1948 में महात्मा गांधी के अस्थि कलश जिन 12 तटों पर विसर्जित किए गए थे, त्रिमोहिनी संगम भी उनमें से एक है |

गुरु तेग बहादुर एतिहासिक गुरुद्वारा लक्ष्‍मीपुर

सिखों के नवमें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर की याद में यह गुरुद्वारा स्थापित है। सन 1666 में गुरु जी यहां के कांतनगर में पधारे थे। इस गुरुद्वारे में गुरुजी से जुड़ी कई अनमोल धरोहर आज भी सुरक्षित है। लक्ष्‍मीपुर सिख बाहुल्‍य गांव है व यहां प्रत्‍येक वर्ष गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस मनाया जाता है।

शान्ति टोला फसीया

यह एक छोटा सा गांव है। मुख्यालय से लगभग ६ किलोमीटर की दूरी पर है। इस गाँव की आबादी लगभग 1300 है। इस गांव में सभी जाति के लोग रहते हैं। इस गांव में एक 200 वर्ष पुराना मंदिर भी है जिसे महंथ स्थान के नाम से जाना जाता है। इस गांव में एक राधा कृष्ण का भी मन्दिर है। यह अपने जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है , यह अब नगरनिगम कटिहार के वार्ड न. ४४ के अंतर्गत आता है। इस गांव के लोग अपनी सादगी एवं सद्भाव के लिए जाने जाते हैं यंहा 99 % लोग खरवार समुदाय जो अनुसूचित जनजाति से आते हैं। ये लोग पहले खेती बाड़ी एवं मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते थे पर इधर कुछ वर्षों से इनके शिक्षा में सुधार के कारण काफी संख्या में युवा वर्ग अच्छे पदों पर नियुक्त हुए हैं जिससे इनके जीवन स्तर में काफी सुधार हुआ है। इस गांव के लोग काफी मिलनसार हैं यह हमारे इतिहास का अनमोल धरोहर है। जिसे हम सब को संजो कर रखनी है।

बाल्दीबाड़ी

गंगा नदी के समीप स्थित मनिहारी से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर बाल्दीबाड़ी गांव स्थित है। इसी जगह पर मुर्शीदाबाद के नवाब सिराज-उद-दौला और पूर्णिया के गर्वनर नवाब शौकत जंग के बीच युद्ध हुआ था।

बेलवा

यह एक छोटा सा गांव है। यह जगह बरसोई के खण्ड मुख्यालय के दक्षिण से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ पर प्राचीन समय की कई इमारतें स्थित है। इसके अतिरिक्त यहाँ एक मंदिर भी है। इस मंदिर में भगवान शिव और देवी सरस्वती की पत्थर की मूर्तियां स्थित है। प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी के अवसर पर यहाँ मेले का आयोजन किया जाता है।

दुभी-सुभी

यह गांव बरसोई खण्ड में स्थित है। इस जगह का सम्बन्ध एक दिलचस्प कहानी के साथ जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि एक नवयुवक ने कुश से अपना गला काटकर प्राणों की आहुति दी थी। यह घटना लगभग 70 वर्ष पूर्व की है। इस कारण धार्मिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

गोगाबिल झील

यह एक खूबसूरत विशाल झील प्रसिद्ध पक्षी अभ्यारण भी है। पूरे वर्ष यहाँ पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां देखी जा सकती है।और खासकर नबम्बर से फरवरी के महीनो में रूस से पक्षी प्रवास के लिए आती है,राजहंस,लालसर इत्यादि पक्षी होती है। ये अभ्यारण मनिहारी से लगभग 7 किलो मीटर surapartal main hai jinko dekhne ke bahar se kafi lug aate hain kas kar happy new year main door se log picnik manane ke liye aate hain jo kafi parchilit hai

नवाबगंज

यह गांव मनिहारी से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मुगल काल के समय में इस जिले के गर्वनर नवाब शौकत गंज के पुराने सिंहासन के लिए यह जगह जानी जाती है।

मनिहारी

कटिहार के दक्षिण से 25 किलोमीटर की दूरी पर मनिहारी तहसील स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस जगह पर भगवान कृष्ण से एक मणी (आभूषण) खो गया था, जिसे ढूंढते हुए वह इस जगह पर पहुंचे थे।इस कारण से इस जगह का नाम मनिहारी पड़ा ।

कल्याणी झील

झौआ रेलवे स्टेशन के उत्तर से पांच किलोमीटर की दूरी पर कल्याणी झील स्थित है। प्रत्येक वर्ष माघ मास की पूर्णिमा तिथि के अवसर पर काफी संख्या में लोग यहाँ स्नान करने के लिए आते हैं। यूँ तो सभी दिन पवित्रता के लिए इक्के-दुक्के आवागमन होते रहते है। प्रतिवर्ष माघी पूर्णिमा मेले में लोग पुजा अर्चना बाजार करने बहुत दुरदराज से लोग पहुँचते है। इसके अलावे पुराने पुरोहितों के अनुसार यहाँ साक्षात् माँ कल्याणी देवी के अनेक रहस्य भी है। जिनके कारण ये स्थान अतुल्य है। इस नदी के तट में एक ऐतिहासिक पत्थरनुमा शिवलिंग है जो अनेकों वर्षों से स्थित है स्थानीय लोगों के अनुसार यह अपने आकार में पहले की अपेक्षा बढ़ रहा है। अभी गत् वर्ष 2015 में नियम निष्ठा पूर्वक माँ कल्याणी देवी मंदिर के समीप अनेक कलाकृत्यों द्वारा निर्मित भव्य शिवमंदिर शिवलिंग के साथ स्थापित किया गया।

आवागमन

वायु मार्ग: यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा बागडोगड़ा (सिलीगुड़ी के निकट) हवाई अड्डा है।

रेल मार्ग: कटिहार में रेलवे स्‍टेशन कटिहार रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। पूर्वोतर के राज्‍यों में आवागमन का प्रमुख रेल मार्ग बरौनी-कटिहार-गौहाटी ही है। और मुख्य पाँच अलग - अलग मार्गाों में ट्रेनों का आवागमन भी यही से होता है।

सड़क मार्ग: भारत के कई प्रमुख शहरों से कटिहार सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 31 इस जिले तक पहुंचने का सुलभ राजमार्ग है। और झारखण्ड जाने के लिए मनिहारी गंगा में एल टी सी सेवा उपलब्ध् है, जो गंगा नदी के रास्ते साहिबगंज को जाती है। और मनिहारी में गंगा पुल होने का कार्य भी प्रारम्भ हो चुका है जो जल्दी ही कटिहार-झारखंड मार्ग को अति सुलभ बनाऐगी।

शिक्षा

कटिहार में बहुत से शिक्षा संस्थान हैं-

  • रामकृष्ण मिशन विद्यामन्दिर
  • रामकृष्ण मिशन सारदा विद्यामन्दिर
  • केन्द्रीय विद्यालय
  • जवाहर नवोदय विद्यालय
  • नेताजी विद्यामन्दिर
  • मनिपाल पब्लिक स्कूल
  • पूर्णिया विश्वविद्यालय
  • सूर्यदेव विधि महाविद्यालय
  • कटिहार आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केन्द्र
  • जयमाला शिक्षा निकेतन

इन्हें भी देखें

  • कटिहार ज़िला
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सन्दर्भ


Text submitted to CC-BY-SA license. Source: कटिहार by Wikipedia (Historical)


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