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हिन्दी विद्यापीठ, देवघर


हिन्दी विद्यापीठ, देवघर


हिंदी विद्यापीठ, देवघर हिंदी के प्रचार-प्रसार में कार्यरत एक प्रसिद्ध स्वयंसेवी संस्था है। यहाँ से उपाधि प्राप्त कर छात्रछात्राएँ अपने-अपने प्रांतों में जाकर हिंदी की सेवा करती हैं। इसके आदि कुलाधिपति देशरत्न डॉo राजेंद्र प्रसाद जी थे। यह संस्था उत्तर और दक्षिण के बीच सेतु के रूप में विद्यमान हिंदी के उत्थान का केंद्र है। यह अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ, नयी दिल्ली से संबद्ध है।

यह विद्यापीठ झारखण्ड के देवघर में स्थित है। यह भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के संघर्ष की उपज है। १९२९ में इस संस्था का शुभारंभ हुआ। जब सम्पूर्ण देश के नर-नारी देश की स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के मार्गदर्शन में मरमिट रहे थे, उस समय उनकी प्रेरणा से लोग `हिंदी अपनाओ, अंग्रेजी का बहिष्कार करो' का नारा दे रहे थे। उस समय हिंदी विद्यापीठ, देवघर की नींव डाली जा रही थी।

बाहरी कड़ियाँ

  • हिन्दी विद्यापीठ, देवघर का जालघर
  • हिन्दी के उत्थान में नरसिंह का योगदान (जागरण)


[[श्रेणी:हिन्दी संस्थान}}


Text submitted to CC-BY-SA license. Source: हिन्दी विद्यापीठ, देवघर by Wikipedia (Historical)



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